राजस्थान में भाषा एवं बोलियां के महत्वपूर्ण प्रश्न
[RSMSSB LDC-2018]
1. राजस्थान की किस बोली पर मराठी भाषा का प्रभाव है?
ढूंढाड़ी
मेवाड़ी
मारवाड़ी
मालवी
Note: झालावाड़, कोटा और प्रतापगढ़ जिलों में मालवी बोली का प्रचलन है। यह भाग मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र के समीप है। मालवी बोली में मारवाड़ी एवं ढूंढाड़ी दोनों की कुछ विशेषताएं पाई जाती है। कहीं-कहीं मराठी का भी प्रभाव झलकता है। इस बोली का रांगड़ी रूप कुछ कर्कश है।
2. मेवाती बोली राजस्थान के ............ क्षेत्रों में बोली जाती है -
अजमेर-ब्यावर
अलवर-भरतपुर
करौली-सवाई माधोपुर
डूंगरपुर-बांसवाड़ा
Note:
3. अहीरवाटी और मेवाती बोलियां किस क्षेत्र में बोली जाती है -
पश्चिमी राजस्थान
मध्य-पूर्वी राजस्थान
उत्तर-पूर्वी राजस्थान
दक्षिणी राजस्थान
Note:
4. राजस्थान की निम्नलिखित में से कौन-सी उसकी उपबोली से सुमेलित है -
Note: डिंगल और पिंगल साहित्यिक राजस्थानी के दो प्रकार हैं। डिंगल पश्चिमी राजस्थानी का साहित्यिक रूप है, इसका अधिकतर साहित्य चारण कवियों द्वारा लिखित है जबकि पिंगल पूर्वी राजस्थानी का साहित्यिक रूप है और इसका अधिकतर साहित्य भाट जाति की कवियों द्वारा लिखित है।
6. निम्नलिखित संतों में से किसने अपने लेखन में मेवाती बोली का प्रयोग नहीं किया -
चरणदास
लालदास
सुन्दरदास
सहजोबाई
Note:
7. राजस्थान में ‘खेराड़ी’ बोली किस क्षेत्र में प्रचलित है-
भरतपुर-धोलपुर
डूंगरपुर-बांसवाड़ा
टोंक-भीलवाड़ा
उदयपुर-चित्तौड़
Note: राजस्थान में ‘खेराड़ी’ बोली टोंक-भीलवाड़ा क्षेत्र में प्रचलित है। ‘खेराड़ी’ बोली मेवाड़ी, ढूंढाड़ी एवं हाड़ौती का मिश्रण है।
Note: वागड़ी बोली: इसके वक्ताओं की संख्या 2 करोड़ 20 लाख है जो राजस्थान के डूंगरपुर व बांसवाड़ा जिसे वागड़ क्षेत्र कहा जाता है, में बोली जाती है।
10. मेवाती बोली से सम्बन्धित जिला कौनसा है -
अजमेर
अलवर
कोटा
सीकर
Note:
11. राजस्थान की भाषा के लिए राजस्थानी शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया था -
कवि कुशल लाभ
जैम्स टोड
जॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सन
सूर्यमल्ल मिश्रण
Note: सर जॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सन ने राजस्थानी शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग यहां की भाषा के लिए 1912 ई. में "भारतीय भाषाई सर्वेक्षण (Linguistic Survey of India)" में किया। "भारतीय भाषाई सर्वेक्षण (Linguistic Survey of India)" ब्रिटिश राज के अधीन भारत की एक प्रमुख सर्वेक्षण परियोजना थी। इसमें भारत की 179 भाषाओं और 544 बोलियों का सविस्तार सर्वेक्षण है।
13. तोरावाटी, काठैडा, राजावाटी बोलियों का सम्बन्ध किस क्षेत्र से है -
मालवी
मेवाती
हाडौती
ढूंढाडी
Note:
14. गोड़वाड़ी बोली का क्षेत्र है -
जालौर
चूरू
बून्दी
अलवर
Note: गोड़वाड़ी बोली मारवाड़ी भाषा की उपबोली है, यह गौड़वाड़ क्षेत्र (जालौर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर) में बोली जाती है।
15. ‘ढटकी’, ‘थाली’ एवं ‘खैराड़ी’ उपबोलियाँ राजस्थान की किस बोली से सम्बन्धित हैं?
मारवाड़ी
मेवाती
मेवाड़ी
ढूंढाड़ी
Note: मारवाड़ी बोली की कई उप-बोलियाँ भी हैं जिनमें ढटकी, थाली, बीकानेरी, बांगड़ी, शेखावटी, मेवाड़ी, खैराड़ी, सिरोही, गौड़वाडी, नागौरी, देवड़ावाटी आदि प्रमुख हैं। साहित्यिक मारवाड़ी को डिंगल कहते हैं। डिंगल साहित्यिक दृष्टि से सम्पन्न बोली है। राजस्थान के पश्चिमी भाग में मुख्य रुप से मारवाड़ी बोली सर्वाधिक प्रयुक्त की जाती है। यह जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर और शेखावटी में बोली जाती है।
16. उदयपुर, भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़ में कौन सी बोली ज्यादातर बोली जाती है -
रांगड़ी
मालवी
मेवाड़ी
बागड़ी
Note: मेवाड़ी बोली राजस्थान में भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, उदयपुर एवं उदयपुर के आस-पास के क्षेत्रों में बोली जाती है। मेवाड़ी, मारवाड़ी के बाद दूसरी महत्वपूर्ण बोली है। महाराणा कुंभा द्वारा रचित नाटकों में मेवाड़ी बोली का ही प्रयोग है। मेवाड़ी भाषा के विकसित रूप 12वीं-13वीं शताब्दी में देखने को मिलते है।
17. डा. टेसीतोरी के अनुसार राजस्थानी भाषा किस सदी के लगभग अस्तित्व में आ चुकी थी -
10 वीं सदी
13 वीं सदी
11 वीं सदी
12 वीं सदी
Note: उत्पत्ति की दृष्टि से राजस्थानी भाषा का उद्भव शौरसेनी अपभ्रंश से हुआ। डॉ. टेसीटोरी (ए डिस्क्रीप्टिव केटलॉग ऑफ द बार्डिक एण्ड हिस्टोरिकल क्रोनिकल्स) के अनुसार 12वीं सदी के लगभग यह भाषा अस्तित्व में आ चुकी थी।
18. निम्नलिखित राजस्थानी बोलियों में से किस पर गुजराती का मजबूत प्रभाव है -
वागड़ी
मेवाती
बृज
ढुढाड़ी
Note:
19. निम्नलिखित बोलियों में से कौन सी ढुंढाड़ी की उप-बोली नहीं है -
तोरावाटी
अहीरवाटी
राजावाटी
नागरचोल
Note:
20. ग्रियर्सन ने किस बोली को ‘भीली’ बोली भी कहा है -