1. हम्मीर मदमर्दन नामक रचना किसके द्वारा रचित है ?
जोधराज
जयसिंह सूरी
शारंगधर
नयन चन्द्र सूरी
Note: हम्मीर मदमर्दन नामक रचना "जयसिंह सूरी" द्वारा रचित है।

2. राजस्थान के किस जिले की थेवा कला प्रसिद्ध हैं?
सवाई माधोपुर
राजसमंद
प्रतापगढ़
करौली
Note: थेवा की हस्तकला कला स्त्रियों के लिए सोने मीनाकारी और पारदर्शी कांच के मेल से निर्मित आभूषण के निर्माण से सम्बद्ध है। इसके गिने चुने शिल्पी-परिवार राजस्थान के केवल प्रतापगढ़ जिले में ही रहते हैं। थेवा-आभूषणों के निर्माण में विभिन्न रंगों के शीशों (कांच) को चांदी के महीन तारों से बने फ्रेम में डाल कर उस पर सोने की बारीक कलाकृतियां उकेरी जाती है, जिन्हें कुशल और दक्ष हाथ छोटे-छोटे औजारों की मदद से बनाते हैं। यह आभूषण-निर्माण कला अपनी मौलिकता और कलात्मकता के कारण विश्व की उन अल्प हस्तकलाओं में से एक है - जो अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार और विपणन के अभाव में जल्दी विलुप्त हो सकती हैं|

3. हवामहल के वास्तुकार थे-
लालचंद उस्ताद
विद्याधर भट्टाचार्य
जैता
मंडन
Note: 15 मीटर ऊंचाई वाले पांच मंजिला पिरामिडनुमा हवामहल के वास्तुकार लाल चंद उस्ताद थे। हवामहल का डिजाइन इस्लामिक मुगल वास्तुकला के साथ हिंदू राजपूत वास्तुकला कला का एक उत्कृष्ण मिश्रण को दर्शाता है। 5 मंजिला हवामहल में वर्ष के दिनों के बराबर 365 जाली (झरोखे) और 953 खिड़कियां हैं। हवामहल का निर्माण राजपूतों के शासनकाल में जयपुर में महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने कराया था। हवामहल बनाने का उद्देश्य गर्मियों के समय में ताजी और खुली हवा प्राप्त करना तथा गर्मी से राहत पाना था।

4. मीणा से दो अर्द्धवृत्तों में अत्यंत धीमी गति से बिना वाद्य के किया जाने वाला गरासियों का प्रसिद्ध नृत्य कौनसा है?
वालर नृत्य
लूर नृत्य
मांदल नृत्य
गैर नृत्य
Note: मीणा से दो अर्द्धवृत्तों में अत्यंत धीमी गति से बिना वाद्य के किया जाने वाला गरासियों का प्रसिद्ध "लूर नृत्य" है। लूर नृत्य मारवाड़ (राजस्थान) का लोक नृत्य है। यह नृत्य फाल्गुन मास में प्रारंभ होकर होली दहन तक चलता है। यह नृत्य राजस्थानी महिलाओं द्वारा किया जाता है।


5. वह कौनसी रम्मत है, जिसका आधार प्रति वर्ष घटित नवीन घटनाएँ होती है?
अमरसिंह राठौड़ री रम्मत
फक्कड़ दाता री रम्मत
सांग मेहरी री रम्मत
हेड़ाऊ मैरी री रम्मत
Note: सांग मेहरी रम्मत में हर वर्ष की ताजा घटनाओं को केंद्र में रखकर ख्याल रखा जाता है। स्वांग मेहरी अथवा सांग मेहरी की रम्मत भी बीकानेर की प्रमुख रम्मतों में से एक है। लगभग 135 वर्शों से बारह गुवाड़ चैक में इस रम्मत का मंचन किया जा रहा है। यह रम्मत फाल्गुन शुक्ला एकादशी की रात्रि को 1 बजे प्रारंभ होकर दूसरे दिन सुबह 10 बजकर 11 मिनट तक चलती है। इसके प्रारंभ होने से पूर्व एक परिक्रमा निकाली जाती है, इसे स्थानीय भाषा में ‘छींकी’ कहा जाता है।

6. नींबू, क्सूम्बो, रिडमल, मधकर, एक थमियी महल, कोछबियों राणों, बीजा सोरठ, आदि क्या है?
लोक गीत
लोक नृत्य
लोक नाट्य
वाद्य यंत्र
Note: नींबू, क्सूम्बो, रिडमल, मधकर, एक थमियी महल, कोछबियों राणों, बीजा सोरठ, आदि लोकगीत है।

7. ‘झल्ले आउबो’ गीत में किसका वर्णन किया गया है?
1857 की क्रांति का
अंग्रेजों एवं आउवा के ठाकुर कुशालसिंह के बीच हुए युद्ध का
आउवा के ठाकुर कुशालसिंह के परिवार का
आउवा के युद्ध के पूर्व अंग्रेजों एवं आउवा के ठाकुर के मध्य हुए पत्र व्यवहार का
Note: ‘झल्ले आउबो’ गीत में अंग्रेजों एवं आउवा के ठाकुर कुशालसिंह के बीच हुए युद्ध का वर्णन किया गया है।

8. ‘रोली वापरियों’ गीत में किसका वर्णन किया गया है?
ड्रग-जी-जवार जी की वीरता का
अंग्रेजों की ‘फूट डालो, राज करो, की नीति का
लौटिया जाट एवं करणीया मीणा का
1857 की क्रांति का
Note: ‘रोली वापरियों’ गीत में अंग्रेजों की ‘फूट डालो, राज करो, की नीति का वर्णन किया गया है।


9. अलवर का ‘रसखान’ किसे कहा जाता है?
नवाब वाजिद अली शाह
मोहम्मद शाह रंगीले
राव अलीबख्श
सम्मोखान सिंह
Note: अलवर का ‘रसखान’ राव अलीबख्श को कहा जाता है। इन्हें अलीबख्शी ख्यालों के जन्मदाता के रूप में जाना जाता है।

10. ‘सपेरा नृत्य’ किस जाति द्वारा किया जाता है?
कालबेलिया
सहरिया
भोपा
भवाई
Note: ‘सपेरा नृत्य’ कालबेलिया जाति द्वारा किया जाता है। यह जनजाति खासतौर पर इसी नृत्य के लिए जानी जाती है और यह उनकी संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। आनंद और उत्सव के सभी अवसरों पर इस जनजाति के सभी स्त्री और पुरुष इसे प्रस्तुत करते हैं।

11. ‘मोर नृत्य’ किस जाति की महिलाओं द्वारा किया जाता है?
भवाई
लेगा
भोपा
नष्ट
Note: ‘मोर नृत्य’ नष्ट जाति की महिलाओं द्वारा किया जाता है। इस नृत्य में पुरुष एवं महिला दोनों भाग लेते है। यह भरतपुर का प्रसिद्ध नृत्य है।

12. ‘बरगू’ क्या है?
घन वाद्य
सुषिर वाद्य
तत वाद्य
ताल वाद्य
Note: ‘बरगू’ सुषिर वाद्य है। हवा द्वारा बजने वाले यंत्र को सुषिर वाद्य यंत्र कहते है।


13. ‘उमराव’ क्या है?
एक प्रकार का वाद्य
गरासियों का निवास स्थान
तुर कलंगी लोक नाट्य का एक रूप
लोकगीत
Note: ‘उमराव’ गीदड़ खेलने के समय गाया जाने वाला एक लोकगीत है।

14. गवरी नृत्य में ‘पुरिया’ किसे कहा जाता है?
सूर्य
शिव
इंद्र
विष्णु
Note: गवरी नृत्य में ‘पुरिया’ शिव को कहा जाता है। गवरी नृत्य भील जाति के लोगों द्वारा प्रस्तुत किया जाने वाला एक प्रसिद्ध लोक नृत्य है। देवताओं को प्रसन्न करने के लिए गवरी नृत्य एक वृत्त बनाकर और समूह में किया जाता है। इस नृत्य के माध्यम से कथाएँ प्रस्तुत की जाती है। यह नृत्य ‘रक्षा बंधन’ के बाद से शुरू होता है। इस नृत्य में महिला का किरदार भी पुरुष उसकी वेशभूषा धारण कर निभाते हैं।

15. तेरहताली नृत्य का प्रमुख वाद्य यंत्र कौनसा है?
श्रीमंडलं
मंजीरा
झांझ
चांग
Note: तेरहताली नृत्य का प्रमुख वाद्य यंत्र मंजीरा है। तेरहताली नृत्य राजस्थान के प्रसिद्ध लोक नृत्यों में से एक है, जो बैठकर किया जाता है। यह नृत्य कमाड़ जाति के लोगों द्वारा किया जाता है। इस नृत्य में महिलाएं अपने हाथ, पैरों व शरीर के 13 स्थानों पर मंजीरे बाँध लेती है। तेरहताली नृत्य करने वाली महिलाएँ दोनों हाथों में बँधे मंजीरों को गीत की ताल व लय के साथ तेज गति से शरीर पर बँधे अन्य मंजीरों पर प्रहार करती हुईं विभिन्न भाव-भंगिमाएं प्रदर्शित करती हैं। इस नृत्य के समय पुरुष तंदूरे की तान पर रामदेव जी के भजन गाते है।

16. भवानी नाट्यशाला कहाँ पर स्थित है?
झालावाड़
उदयपुर
जयपुर
जोधपुर
Note: भवानी नाट्यशाला झालावाड़ में स्थित है। भावनी नाट्यशाला ओपेरा शैली पर आधारित रंगमंचीय व्यवस्थाओं एवं जटिल तकनीक के अनूठे संगम के लिए प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि संपूर्ण विश्व में ऐसे सिर्फ आठ नाट्यशालाएँ हैं। उस समय जब यह नाट्यशाला बहुत अधिक प्रसिद्ध थी, ‘शाकुंतलम’ और ‘शेक्सपियर’ जैसे नाटक यहाँ प्रदर्शित किये गए थे। इस नाट्यशाला का प्रयोग पारसी थियटर की तरह किया जाता है।


17. जहूर खां मेवाती, उमर फारुख मेवाती किसके वादक है?
तंदूरा
दुकाको
भपंग
सुरिन्दा
Note: जहूर खां मेवाती, उमर फारुख मेवाती भपंग के वादक है। भपंग वाद्य यंत्र डमरू की आकृति से मिलता जुलता है। यह वाद्य यंत्र तुबे से बनता है। यह यंत्र राजस्थान के अलवर जिले का लोकप्रिय वाद्य यंत्र है। अलवर जिले के जोगी जाति के लोग भपंग वाद्य यंत्र के साथ राजा भर्तृहरि, भक्त पूरणमल व हीर रांझा इत्यादि की लोक गाथाएं गाते है।

18. कामड़ जाति के लोग कौनसा यंत्र बजाते है?
दुकाको
गूजरी
सुरिन्दा
तंदूरा
Note: तंदूरा धातु और हल्की लकड़ी से निर्मित एक तार वाद्य यंत्र है। यह राजस्थान में पाया जाने वाला ड्रोन वाद्य यंत्र है। यह मुख्य रूप से राजस्थान के भक्ति और पारंपरिक गायन में उपयोग किया जाता है। कामड़ और नाथ सम्प्रदाय के व्यक्ति इस वाद्य को बजाते हैं। अधोर पंथी, आदिनाथ, बीसनामी, कुंडापंथी, दसनामी आदि व्यक्ति इसे बजाते हैं। तेरहताली नृत्य में भी इस वाद्य को बजाया जाता है।

19. सुषिर वाद्यों में सर्वश्रेष्ठ, सुरीला एवं मांगलिक वाद्य यंत्र कौनसा है?
अलगोजा
पूगी
बांसुरी
शहनाई
Note: शहनाई को सुरीला व मांगलिक वाद्य यंत्र माना जाता है। शहनाई का निर्माण शिशम की लकड़ी या सांगवान की लकड़ी से किया जाता है। शहनाई की आकृति चिलम जैसी होती है। शहनाई में कुल 8 छेद होते है। शहनाई का प्रमुख वादक बिस्मिल्लाह खां है।

20. कौनसा वाद्य यंत्र अलगोजा, शहनाई तथा बांसुरी का मिश्रण होता है?
तारपी
मशक
सतारा
नफीरी
Note: सतारा वाद्य यंत्र अलगोजा, बांसुरी व शहनाई का मिश्रण माना जाता है। इसमें दो बांसुरियों को एक साथ फूंक द्वारा बजाया जाता है। एक बांसुरी केवल श्रुति के लिए तथा दूसरी को स्वरात्मक रचना के लिए काम में लिया जाता है। इसे ऊब सूख लकड़ी में छेद करके बनाया जाता है। दोनों बांसुरियों एक सी लंबाई होने पर पाबा जोड़ी, एक लंबी और एक छोटी होने पर डोढ़ा जोङा एवं अलगोजा नाम से भी जाना जाता है। सतारा वाद्य यंत्र का प्रयोग बाड़मेर तथा जैसलमेर की जनजातियों तथा लंगा जाति के द्वारा किया जाता है।


21. करणा भील किस वाद्य यंत्र के प्रसिद्ध वादक है?
नड़
मशक
मोरचग
सतारा
Note: करणा भील नड़ वाद्य यंत्र के प्रसिद्ध वादक है। इसमें 4 छेद होते है तथा इसे मुंह के किनारे से बजाया जाता है। नड़ वाद्य यंत्र बैंत व कंगोर की लकड़ी से निर्मित होता है। नड़ वाद्य यंत्र का सर्वाधिक प्रयोग जैसलमेर जिले में किया जाता है। नड़ वाद्य यंत्र सिंधी संस्कृति का पूर्ण प्रभाव माना जाता है। नड़ वाद्य यंत्र को भैरव का गुणगान करते समय राजस्थान के भोपे बजाते है।

22. राजस्थान का राज्य गीत कौन-सा हैं ?
केसरिया बालम
इण लहेरिये रा
मोरया आछो बोल्यो रे
प्रियतम प्रदेश आया
Note: राजस्थान का राज्य गीत "केसरिया बलमा पधारो म्हारे देश" है। अल्लाह जिलाई बाई ने पहली बार बीकानेर के महाराजा गंगासिंह के दरबार में केसरिया बालम गीत को गाया था।

23. प्रदेश में सुखद वर्षा की कामना के लिए जयपुर में कौनसा कार्यक्रम आयोजित किया जाता है?
फागोत्सव
मृगनयनी
रंग मल्हार
राजस्थान उत्सव
Note: प्रदेश में सुखद वर्षा की कामना के लिए राजस्थान के चित्रकारों द्वारा ‘रंग मल्हार’ समारोह का आयोजन किया जाता है। खास बात यह है कि इसमें कलाकार हर साल अलग-अलग माध्यमों पर चित्रकारी करके ‘सेव द एन्वायर्नमेंट’ के मैसेज के साथ प्रदेश में अच्छी वर्षा की कामना करते हैं।

24. जलदुर्ग गागरोन किन नदियों के संगम पर स्थित है?
कालीसिंध-पार्वती
कालीसिंध-परवन
कालीसिंध-चम्बल
कालीसिंध-आहू
Note: जलदुर्ग गागरोन कालीसिंध एवं आहू नदी के संगम पर स्थित है। गागरोन दुर्ग हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है। यहाँ सूफ़ी संत मीठे शाह की दरगाह भी है। इस दुर्ग की नींव सातवीं सदी में रखी गई थी और चौदहवीं सदी तक इसका निर्माण पूर्ण हुआ था। यह दुर्ग राजस्थान के झालावाड़ में स्थित है।


25. दोहरे परकोटे वाले मिट्टी से बने किस दुर्ग को अंग्रेज भी नही जीत पाए थे?
जैसलमेर का दुर्ग
भरतपुर का दुर्ग
बीकानेर का दुर्ग
सूरतगढ़
Note: दोहरे परकोटे वाले मिट्टी से बने भरतपुर के दुर्ग को अंग्रेज भी नही जीत पाए थे। इस दुर्ग का निर्माण भरतपुर के जाट वंश के कुंवर महाराजा सूरजमल ने 19 फरवरी, 1733 ई. में करवाया था। यह भारत का एकमात्र अजेय दुर्ग है। इस दुर्ग को अजयगढ़ का दुर्ग भी कहा जाता है। इसके चारों ओर मिट्टी की दोहरी प्राचीर बनी है, अत: इसको मिट्टी का दुर्ग भी कहते है। इस दुर्ग के दो दरवाजे है।

26. ‘आईलैण्ड पैलेस’ के नाम से किसे जाना जाता है?
हवामहल
पन्ना मीणा की बावड़ी
जल महल
जंतर मंतर
Note: ‘आईलैण्ड पैलेस’ के नाम से जल को महल को जाना जाता है। जल महल जयपुर के मानसागर झील के मध्य स्थित प्रसिद्ध ऐतिहासिक महल है। अरावली पहाडिय़ों के गर्भ में स्थित यह महल झील के बीचों बीच होने के कारण ‘आई बॉल’ भी कहा जाता है। इसे ‘रोमांटिक महल’ के नाम से भी जाना जाता था। जयसिंह द्वारा निर्मित यह महल मध्‍यकालीन महलों की तरह मेहराबों, बुर्जो, छतरियों एवं सीढीदार जीनों से युक्‍त दुमंजिला और वर्गाकार रूप में निर्मित भवन है। जल महल का निर्माण 1899 ई. में हुआ था।

27. तिमणिया पहना जाता है-
महिलाओं द्वारा, गले में
महिलाओं द्वारा, कमर में
पुरूषों द्वारा, बाजू पर
पुरूषों द्वारा, कान में
Note: तिमणिया, राजस्थानी महिलाऐं गले में पहनती है।

28. ‘तेधड़’ आभूषण पहना जाता है-
स्त्रियों के हाथों में
स्त्रियों के सिर पर
स्त्रियों के पैरों में
पुरूषों के कानों में
Note: ‘तेधड़’ आभूषण स्त्रियों के पैरों में पहना जाता है।


29. ‘ताराभांत की ओढ़नी’ राजस्थान की किन स्त्रियों की लोकप्रिय वेशभूषा है-
आदिवासी
गुर्जर
ब्राह्मण
बिशनोई
Note: "तारा भांत की ओढ़नी" आदिवासी स्त्रियों की लोकप्रिय ओढ़नी है। इसमें जमीन भूरी-लाल तथा किनारों का छोर काला षट्कोणीय आकृति वाला तारों जैसा होता है।

30. महिलाओं के गहनों का सिर से पैर तक का सही क्रम है-
बोर,बिन्दिया, टीडी, भलको, गलपटियों, चुंप, कड़ला, नथ
बोर, नथ, बिन्दिया, टिडी, भलको, चूंप, गलपटियो, कड़ला
बोर, टीडी, भलको, बिन्दिया, नथ, चूंप, गलपटियों, कड़ला
बोर, चूंप, नथ, टिडी, कड़ला, भलको, बिन्दिया, गलपटियों
Note:




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