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31. तेरहताली नृत्य का प्रमुख वाद्य यंत्र कौनसा है?
झांझ
श्रीमंडलं
चांग
मंजीरा
Note: तेरहताली नृत्य का प्रमुख वाद्य यंत्र मंजीरा है। तेरहताली नृत्य राजस्थान के प्रसिद्ध लोक नृत्यों में से एक है, जो बैठकर किया जाता है। यह नृत्य कमाड़ जाति के लोगों द्वारा किया जाता है। इस नृत्य में महिलाएं अपने हाथ, पैरों व शरीर के 13 स्थानों पर मंजीरे बाँध लेती है। तेरहताली नृत्य करने वाली महिलाएँ दोनों हाथों में बँधे मंजीरों को गीत की ताल व लय के साथ तेज गति से शरीर पर बँधे अन्य मंजीरों पर प्रहार करती हुईं विभिन्न भाव-भंगिमाएं प्रदर्शित करती हैं। इस नृत्य के समय पुरुष तंदूरे की तान पर रामदेव जी के भजन गाते है।

32. भवानी नाट्यशाला कहाँ पर स्थित है?
झालावाड़
जोधपुर
जयपुर
उदयपुर
Note: भवानी नाट्यशाला झालावाड़ में स्थित है। भावनी नाट्यशाला ओपेरा शैली पर आधारित रंगमंचीय व्यवस्थाओं एवं जटिल तकनीक के अनूठे संगम के लिए प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि संपूर्ण विश्व में ऐसे सिर्फ आठ नाट्यशालाएँ हैं। उस समय जब यह नाट्यशाला बहुत अधिक प्रसिद्ध थी, ‘शाकुंतलम’ और ‘शेक्सपियर’ जैसे नाटक यहाँ प्रदर्शित किये गए थे। इस नाट्यशाला का प्रयोग पारसी थियटर की तरह किया जाता है।


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33. जहूर खां मेवाती, उमर फारुख मेवाती किसके वादक है?
तंदूरा
दुकाको
भपंग
सुरिन्दा
Note: जहूर खां मेवाती, उमर फारुख मेवाती भपंग के वादक है। भपंग वाद्य यंत्र डमरू की आकृति से मिलता जुलता है। यह वाद्य यंत्र तुबे से बनता है। यह यंत्र राजस्थान के अलवर जिले का लोकप्रिय वाद्य यंत्र है। अलवर जिले के जोगी जाति के लोग भपंग वाद्य यंत्र के साथ राजा भर्तृहरि, भक्त पूरणमल व हीर रांझा इत्यादि की लोक गाथाएं गाते है।

34. कामड़ जाति के लोग कौनसा यंत्र बजाते है?
दुकाको
गूजरी
सुरिन्दा
तंदूरा
Note: तंदूरा धातु और हल्की लकड़ी से निर्मित एक तार वाद्य यंत्र है। यह राजस्थान में पाया जाने वाला ड्रोन वाद्य यंत्र है। यह मुख्य रूप से राजस्थान के भक्ति और पारंपरिक गायन में उपयोग किया जाता है। कामड़ और नाथ सम्प्रदाय के व्यक्ति इस वाद्य को बजाते हैं। अधोर पंथी, आदिनाथ, बीसनामी, कुंडापंथी, दसनामी आदि व्यक्ति इसे बजाते हैं। तेरहताली नृत्य में भी इस वाद्य को बजाया जाता है।

35. सुषिर वाद्यों में सर्वश्रेष्ठ, सुरीला एवं मांगलिक वाद्य यंत्र कौनसा है?
शहनाई
पूगी
अलगोजा
बांसुरी
Note: शहनाई को सुरीला व मांगलिक वाद्य यंत्र माना जाता है। शहनाई का निर्माण शिशम की लकड़ी या सांगवान की लकड़ी से किया जाता है। शहनाई की आकृति चिलम जैसी होती है। शहनाई में कुल 8 छेद होते है। शहनाई का प्रमुख वादक बिस्मिल्लाह खां है।

36. कौनसा वाद्य यंत्र अलगोजा, शहनाई तथा बांसुरी का मिश्रण होता है?
नफीरी
सतारा
मशक
तारपी
Note: सतारा वाद्य यंत्र अलगोजा, बांसुरी व शहनाई का मिश्रण माना जाता है। इसमें दो बांसुरियों को एक साथ फूंक द्वारा बजाया जाता है। एक बांसुरी केवल श्रुति के लिए तथा दूसरी को स्वरात्मक रचना के लिए काम में लिया जाता है। इसे ऊब सूख लकड़ी में छेद करके बनाया जाता है। दोनों बांसुरियों एक सी लंबाई होने पर पाबा जोड़ी, एक लंबी और एक छोटी होने पर डोढ़ा जोङा एवं अलगोजा नाम से भी जाना जाता है। सतारा वाद्य यंत्र का प्रयोग बाड़मेर तथा जैसलमेर की जनजातियों तथा लंगा जाति के द्वारा किया जाता है।


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37. करणा भील किस वाद्य यंत्र के प्रसिद्ध वादक है?
सतारा
मोरचग
नड़
मशक
Note: करणा भील नड़ वाद्य यंत्र के प्रसिद्ध वादक है। इसमें 4 छेद होते है तथा इसे मुंह के किनारे से बजाया जाता है। नड़ वाद्य यंत्र बैंत व कंगोर की लकड़ी से निर्मित होता है। नड़ वाद्य यंत्र का सर्वाधिक प्रयोग जैसलमेर जिले में किया जाता है। नड़ वाद्य यंत्र सिंधी संस्कृति का पूर्ण प्रभाव माना जाता है। नड़ वाद्य यंत्र को भैरव का गुणगान करते समय राजस्थान के भोपे बजाते है।

38. राजस्थान का राज्य गीत कौन-सा हैं ?
मोरया आछो बोल्यो रे
प्रियतम प्रदेश आया
केसरिया बालम
इण लहेरिये रा
Note: राजस्थान का राज्य गीत "केसरिया बलमा पधारो म्हारे देश" है। अल्लाह जिलाई बाई ने पहली बार बीकानेर के महाराजा गंगासिंह के दरबार में केसरिया बालम गीत को गाया था।

39. प्रदेश में सुखद वर्षा की कामना के लिए जयपुर में कौनसा कार्यक्रम आयोजित किया जाता है?
फागोत्सव
मृगनयनी
रंग मल्हार
राजस्थान उत्सव
Note: प्रदेश में सुखद वर्षा की कामना के लिए राजस्थान के चित्रकारों द्वारा ‘रंग मल्हार’ समारोह का आयोजन किया जाता है। खास बात यह है कि इसमें कलाकार हर साल अलग-अलग माध्यमों पर चित्रकारी करके ‘सेव द एन्वायर्नमेंट’ के मैसेज के साथ प्रदेश में अच्छी वर्षा की कामना करते हैं।

40. जलदुर्ग गागरोन किन नदियों के संगम पर स्थित है?
कालीसिंध-चम्बल
कालीसिंध-पार्वती
कालीसिंध-आहू
कालीसिंध-परवन
Note: जलदुर्ग गागरोन कालीसिंध एवं आहू नदी के संगम पर स्थित है। गागरोन दुर्ग हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है। यहाँ सूफ़ी संत मीठे शाह की दरगाह भी है। इस दुर्ग की नींव सातवीं सदी में रखी गई थी और चौदहवीं सदी तक इसका निर्माण पूर्ण हुआ था। यह दुर्ग राजस्थान के झालावाड़ में स्थित है।


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41. दोहरे परकोटे वाले मिट्टी से बने किस दुर्ग को अंग्रेज भी नही जीत पाए थे?
सूरतगढ़
बीकानेर का दुर्ग
भरतपुर का दुर्ग
जैसलमेर का दुर्ग
Note: दोहरे परकोटे वाले मिट्टी से बने भरतपुर के दुर्ग को अंग्रेज भी नही जीत पाए थे। इस दुर्ग का निर्माण भरतपुर के जाट वंश के कुंवर महाराजा सूरजमल ने 19 फरवरी, 1733 ई. में करवाया था। यह भारत का एकमात्र अजेय दुर्ग है। इस दुर्ग को अजयगढ़ का दुर्ग भी कहा जाता है। इसके चारों ओर मिट्टी की दोहरी प्राचीर बनी है, अत: इसको मिट्टी का दुर्ग भी कहते है। इस दुर्ग के दो दरवाजे है।

42. ‘आईलैण्ड पैलेस’ के नाम से किसे जाना जाता है?
जंतर मंतर
जल महल
पन्ना मीणा की बावड़ी
हवामहल
Note: ‘आईलैण्ड पैलेस’ के नाम से जल को महल को जाना जाता है। जल महल जयपुर के मानसागर झील के मध्य स्थित प्रसिद्ध ऐतिहासिक महल है। अरावली पहाडिय़ों के गर्भ में स्थित यह महल झील के बीचों बीच होने के कारण ‘आई बॉल’ भी कहा जाता है। इसे ‘रोमांटिक महल’ के नाम से भी जाना जाता था। जयसिंह द्वारा निर्मित यह महल मध्‍यकालीन महलों की तरह मेहराबों, बुर्जो, छतरियों एवं सीढीदार जीनों से युक्‍त दुमंजिला और वर्गाकार रूप में निर्मित भवन है। जल महल का निर्माण 1899 ई. में हुआ था।

43. तिमणिया पहना जाता है-
पुरूषों द्वारा, कान में
पुरूषों द्वारा, बाजू पर
महिलाओं द्वारा, कमर में
महिलाओं द्वारा, गले में
Note: तिमणिया, राजस्थानी महिलाऐं गले में पहनती है।

44. ‘तेधड़’ आभूषण पहना जाता है-
पुरूषों के कानों में
स्त्रियों के पैरों में
स्त्रियों के सिर पर
स्त्रियों के हाथों में
Note: ‘तेधड़’ आभूषण स्त्रियों के पैरों में पहना जाता है।


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45. ‘ताराभांत की ओढ़नी’ राजस्थान की किन स्त्रियों की लोकप्रिय वेशभूषा है-
आदिवासी
गुर्जर
ब्राह्मण
बिशनोई
Note: "तारा भांत की ओढ़नी" आदिवासी स्त्रियों की लोकप्रिय ओढ़नी है। इसमें जमीन भूरी-लाल तथा किनारों का छोर काला षट्कोणीय आकृति वाला तारों जैसा होता है।

46. महिलाओं के गहनों का सिर से पैर तक का सही क्रम है-
बोर,बिन्दिया, टीडी, भलको, गलपटियों, चुंप, कड़ला, नथ
बोर, टीडी, भलको, बिन्दिया, नथ, चूंप, गलपटियों, कड़ला
बोर, नथ, बिन्दिया, टिडी, भलको, चूंप, गलपटियो, कड़ला
बोर, चूंप, नथ, टिडी, कड़ला, भलको, बिन्दिया, गलपटियों
Note:

47. ‘चोप’ नामक आभूषण पहना जाता है-
कलाई में
गर्दन में
नाक में
दांत में
Note: ‘चोप’ नामक आभूषण नाक में पहना जाता है।

48. गले में बाँधी जाने वाली देवी देवताओं की प्रतिमा को कहते हैं-
अरसी
तकमा
नावा
मूरत
Note: नावा व चौकी गले में बाँधी जाने वाली देवी देवताओं की प्रतिमा को कहते हैं।


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49. निम्न में से महिलाए पैर में क्या पहनती है?
चोप, चुनी, लटकन, खींवनी
खांच, अड़कनी, डोडी, बहरखौ
कंदोरो, जंजीर, तागड़ी, वसन
आंवला, कड़ला, लंगर, छड
Note: लंगर, छड, नेवरी, बिन्छुड़ी, आंवला तथा कड़ला पैर में पहने के आभूषण है।

50. निम्न में से 'मेख' है?
अंगुली में पहने जाने वाला आभूषण
पांवो में पहने जाने वाला एक आभूषण
आभूषण में लटकाई जाने वाली छोटी लड़ी
स्त्री-पुरुष के दांत में जड़ी सोने की चूंप
Note: मेख दांत के आभूषण चुंप का ही एक प्रकार है जिसे स्त्री-पुरुष दांत में लगते है।

51. हालरो, झालरो, खिंवली व तांतणियौ किस अंग से संबंधित है?
सिर
बाजू
गला
कमर
Note: हालरो, झालरो, खिंवली, तांतणियौ, पंचलड़ी, हंसुली, हाली व तिणणिया आदि स्त्रियाँ गले में धारण करती है।

52. निम्नांकित में से पुरुषों द्वारा पहने जाने वाला आभूषण है-
टड्डा
बंगड़ी
बोरला
मुरकिया
Note: मुरकिया एक प्रकार की बाली होती है जो पुरुष कान में पहनते हैं।


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53. सटका शरीर के किस अंग का आभूषण है?
पैर
नाक
गला
कमर
Note: सटका नमक आभूषण स्त्रियाँ कमर पर धारण करती है।

54. 'कोकरूं, डरगनियो, तड़कली' आदि आभूषण किस अंग में पहने जाते है?
कान
नाक
गला
सिर
Note: टोटी, टोरियो, डरगनियो, तड़कली, पीपलपत्र, पासो, पीपलपान, बाली, लटकन, माकड़ी, सन्दोल, वेडलो तथा बूसली कुछ अन्य प्रमुख कान के आभूषण है।

55. 'टोडर' आभूषण है?
पुरुषों की पगड़ी का आभूषण
महिलाओं की कमर का आभूषण
महिलाओं के गले का आभूषण
पुरुषों के पैर का आभूषण
Note: पुरूषों के पांव में पहने जाने वाले आभूषण- टोडर, छेलकड़ा, बेड़ी-पागड़ौ आदि।

56. 'बंगड़ी' आभूषण ______ में पहना जाता है?
कमर
गला
बाजु
हाथ
Note: 'बंगड़ी' आभूषण हाथ में पहना जाता है।


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57. 'खांच' कहाँ पहना जाता है?
कमर
कान
पाँव
बाँह
Note: 'खांच' आभूषण बाँह में पहना जाता है।

58. राजस्थान के कितने किले विश्व धरोहर में शामिल है?
3
6
8
9
Note: राजस्थान के छह किले आमेर, जैसलमेर, गागरोन, चित्तौड़गढ़, कुंभलगढ़ और रणथंभौर विश्व धरोहर में शामिल है।

59. भारत का एकमात्र विभीषण जी का मंदिर कहाँ स्थित हैं।
मण्डोर
कोटा
सीकर
पीपाड़ सिटी
Note: कोटा, राजस्थान से 16 किमी दूर कैथून कस्बे में भारत का एकमात्र विभीषण जी का मंदिर स्थित हैं।

60. राजस्थानी भाषा का सबसे प्राचीनतम ग्रंथ कौनसा माना जाता है?
हम्मीर महाकाव्य
भरतेश्वर बाहुबली घोर
प्रबन्ध चिन्तामणि
कान्हड़दे प्रबन्ध
Note: "भरतेश्वर बाहुबली घोर" ग्रंथ राजस्थानी भाषा का सबसे प्राचीन ग्रंथ है, इसके रचयिता ब्रजसेन सूरि है।


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